चलो तुम उड़ो
आकाश तुम्हारा है
पंखों का अनंत
फैलाव तुम्हारा है
फैला दो हाथ
अब चाँद तुम्हारा है
छोड़ दो इस देह को
अनंत तुम्हारा है
मन से निकालो बाहर
आनंद तुम्हारा है
ज्ञान तोड़ो बंधन
आत्मविस्तार तुम्हारा है
मोह के जोह से निकलो
प्रेम अविरल तुम्हारा है