दौलत देखकर,
ईमान तेरा डगमगा गया।
असली नोट भर बोरे में,
कागज तू थमा गया।
अंकी इंकी डंकी लाल,
धोखेबाज,चालबाज।
कर रहा हवन,
जप रहा राम राम।
पड़ रहा छापा,
बोलो अब सीताराम।
भाग कहां तक भागेगा,
भ्रष्टाचार की पोटली को।
कब तक ढोयेगा,
मगरमच्छ के आंसू न बहा।
बोया पेड़ बबूल का,
आम कहां से पावेगा।