( कविता ) ( पड़ोसी )
एक घर में मिया बीबी
दो बच्चे हैं।
दिखने में वे सभी
बड़े अच्छे हैं।।
मिया सुबह आफिस जाता
शाम को छे बजे घर को आता।
बीबी का दिया खाना खाता
उसको और कुछ नहीं पता।।
हर घड़ी हर पल
निकल रहा है।
इधर उसकी बीबी का
पड़ोसी से चक्कर चल रहा है।।
जैसे ही बीबी का मिया
आफिस की ओर लपकता।
ये देख पड़ोसी उसी
बखत वहां आ टपकता।।
वे दोनों का ये तो
रोज का धंधा था।
बेचारा वह मिया
सीधा सादा बंधा था ।।
एक दिन किसी कारण
दोपहर में ही मिया घर आया।
अपनी बीबी और पड़ोसी को
आपत्तिजनक स्थिति में पाया।।
वह आगबबूला हो
अपना रूप दिखलाया।
बीबी को दो झापड़ लगाया
पड़ोसी को धक्का दे बाहर भगाया।।
फिर बोला बदतमीज कुत्ती
कमिनी साली।
दो बच्चों की मां फिर भी ऐसा
ओहे कलौटी काली।।
सुन अगली बार उसके
साथ ये करेगी।
देख लेना मेरे हाथों
सीधे मरेगी।।
ये कह कर मिया
आफिस की ओर गया।
ऐसा देख पड़ोसी
फिर वहीं आया।।
अपने दो बच्चे छोड़
तयार होने लग गई।
वह औरत तो पड़ोसी के
साथ उसी बखत भाग गई।।
शाम को जब घर में
मिया आया।
पांच साल के छोटे
बच्चे ने बताया।।
पापा मम्मी तो पड़ोसी
अंकल के साथ गई है।
हुवा काफी देर वह
अभी नहीं आई है।।
इतने में रोते हुए
बेचारी भोली।
तीन साल की बच्ची भी
पापा से बोली।।
पापा जल्दी से
जल्दी जाओ ना।
ढूंढ कर मम्मी मेरी
ले आओ ना।।
वह बोला तुम दोनों
अच्छे बच्चे हो जाओ।
खा कर खाना
बिस्तर में सो जाओ।।
इधर उधर चारों
ओर जाऊंगा।
तुमारी मम्मी को मैं
ले कर ही आऊंगा।।
परेशान बेचारे मिया ने
हर जगह फोन लगाया।
अपनी बीबी का पता
कहीं से नहीं पाया।।
अंतिम में एक
दोस्त को फोन किया।
उसने अजीबो- गरीब
खबर दिया।।
हे दोस्त आइस्क्रीम
और गोलगप्पे खा रही थी।
तेरी बीबी तो तेरे पड़ोसी के
साथ रेल में जा रही थी।।
ये सुन उसने फोन
तपाक से रख दिया।
बोला, हे मेरी बीबी ये
तू ने क्या किया?।।
मिया गया अपनी बीबी के
फोटो के सम्मुख।
कहने लगा फ़िर
सारा अपना दुःख।।
काश मैंने संयम से
काम किया होता।
तूमारे गाल पर
मार न दिया होता।।
तूमारे पड़ोसी को भी
धक्का दे बाहर किया।
ये मैंने बहुत
बेकार किया।।
दिन ढल रहा था
ढलने देता।
पड़ोसी के साथ चक्कर
तुमारा चलने देता।।
बहुत बड़ी गलती
हो गई यार।
मुझसे नहीं उसी से
तुम करो प्यार।।
हे प्यारी अब
मान भी जाओ।
अपना चक्कर तुम
उसी से चलाओ।।
खुदा कसम
बिलकुल चुप रहूंगा।
तुम दोनों को
कुछ भी नहीं कहूंगा।।
तुम दोनों को
कुछ भी नहीं कहूंगा.......