खुद को तो क़ुरबान करने का जमाना खो गया
प्यार भी अब जान लेने का बहाना हो गया
रुसवाइयों के जख्म लेके हम रो रहे हैं जार जार
दिल हमारा तो गमों का है ठिकाना हो गया
जब से देखा हमको उसने मुस्कुराकर राह में
तंज के तीरों उसपर सीधा निशाना हो गया
तितलियाँ गुल से लिपटके हो गई मदहोश जो
सारे लम्हों का मिजाज शायराना हो गया
रंग शराफत के उड़ेंगे सारे सत्य की बरसात में
ये ना कहना भूल से दिल दीवाना हो गया
आज ओंठो पे गुलाब कल हाथ में खंजर मिले
अब नई तहजीब का कैसा तराना हो गया
रूप रंग दौलत ये ओहदा आज हैं पर कल नहीं
दास दिल हैरान है किस्सा पुराना हो गया II