हर एक रिश्ते में घुलकर मुस्कुराना।
आता है उसे अपना फर्ज निभाना।।
कभी बेटी बनकर सवालात उठाना।
कभी बहु की तरह मिशाल बनाना।।
प्रेमिका से जब कभी पत्नि बन जाती।
मुखौटे लगाने वालों के मुखौटे हटाना।।
कुछ बातों के जबाव टाल दिया करती।
माँ की तरह 'उपदेश' शांति को बढ़ाना।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद