ये इश्क़ बड़ा कमबख़्त है,
इसके पहरे बड़े सख़्त हैं।
जाने क्यों लोग इसके पीछे पड़े हैं,
इसके पहरे तोड़ने पर अड़े हैं।
लोग इसे दुनियां में सर्वोपरी मानते हैं,
इसमें डूब जाना अपना नसीब मानते हैं।
पता नहीं लोग इश्क़ क्यों करते हैं,
क्यों इस पर इतना मरते हैं।
कायनात जुट जाती हैं कभी-कभी
इश्क़ को मिटाने में,
पर इश्क़ मिटता नहीं किसी के मिटाने से ।
कायनात को हारना पड़ता है इश्क़ के आगे,
पर कभी-कभी इश्क़ भी हार जाता है
इस कायनात के आगे।
----"रीना कुमारी प्रजापत"