लिखूंगी मैं अपना दर्द
तुम उसे पढ़ोगे क्या ?
कभी मेरी कलम में
अपनी प्यार रूपी स्याही भरोगे क्या ?
अभी तो वाक़िफ़ नहीं तुम इससे कि
हम एक फ़नकार है,
पर कभी पता चला तुम्हें
तो मेरा साथ दोगे क्या ?
लिखूंगी मैं अपना दर्द.......✍️✍️
बयां करती हूॅं अपना हाल - ए - दिल
अपनी रचनाओं में
तुम उसे सच मानोगे क्या ?
कभी मेरी इस हक़ीक़त को जानोगे क्या ?
अभी तो जानते नहीं हो तुम
मेरी लेखनी के बारे में,
पर कभी पता चला तुम्हें
तो मुझे समझोगे क्या ?
लिखूंगी मैं अपना दर्द......✍️✍️
अपने इरादों को अपनी कविताओं में
छुपाती हूॅं कभी उन्हें ढूंढ पाओगे क्या ?
मेरी मुस्कान जो तुम्हारा मेरे ख़िलाफ़
हो जाने से खो गई कभी उसे
खोज लाओगे क्या ?
कहीं तुम मेरे जज़्बे को तोड़ ना दो
इसलिए छुप - छुपकर लिखती हूॅं,
जब पता चलेगा तुम्हें
तो मेरी खुशी में तुम भी
खुश हो जाओगे क्या ?
लिखूंगी मैं अपना दर्द......✍️✍️
🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️