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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

लिखूंगी मैं अपना दर्द

लिखूंगी मैं अपना दर्द
तुम उसे पढ़ोगे क्या ?
कभी मेरी कलम में
अपनी प्यार रूपी स्याही भरोगे क्या ?
अभी तो वाक़िफ़ नहीं तुम इससे कि
हम एक फ़नकार है,
पर कभी पता चला तुम्हें
तो मेरा साथ दोगे क्या ?
लिखूंगी मैं अपना दर्द.......✍️✍️

बयां करती हूॅं अपना हाल - ए - दिल
अपनी रचनाओं में
तुम उसे सच मानोगे क्या ?
कभी मेरी इस हक़ीक़त को जानोगे क्या ?
अभी तो जानते नहीं हो तुम
मेरी लेखनी के बारे में,
पर कभी पता चला तुम्हें
तो मुझे समझोगे क्या ?
लिखूंगी मैं अपना दर्द......✍️✍️

अपने इरादों को अपनी कविताओं में
छुपाती हूॅं कभी उन्हें ढूंढ पाओगे क्या ?
मेरी मुस्कान जो तुम्हारा मेरे ख़िलाफ़
हो जाने से खो गई कभी उसे
खोज लाओगे क्या ?
कहीं तुम मेरे जज़्बे को तोड़ ना दो
इसलिए छुप - छुपकर लिखती हूॅं,
जब पता चलेगा तुम्हें
तो मेरी खुशी में तुम भी
खुश हो जाओगे क्या ?
लिखूंगी मैं अपना दर्द......✍️✍️

🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात सहित नमस्कार मेरी प्यारी बहना, बहुत ही लाजवाब कविता, किसी और का तो पता नहीं पर हम आपका साथ जरूर देंगे, बस अब ये मत कहना इस पर कमेंट करोगे क्या।

रीना कुमारी प्रजापत replied

जी हम जानते हैं शुक्रिया आपका

श्रेयसी said

Dard hai to gajal hai.Sundar rachnaa 👌👌🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

સો ટકા સાચી વાત બોલો છું તમે🙏🙏

वन्दना सूद said

Beautifully expressed 👏👏👌👌

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks ma'am

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