ज़िंदगी का साथी,
विश्वास कहलाता है।
धोखा देने वाला,
काला साया है।
रिश्तों की डोर पर,
जो लगाता है छुरे।
वो विश्वासघाती,
दिलों को तोड़ने में माहिर है।
नज़रों में प्यार छुपाकर,
दिल में जहर रखता है।
दगाबाजी का खेल,
वो रोज़ नया खेलता है।
वचन देता है बड़े-बड़े,
फिर तोड़ देता है बेख़बर।
विश्वासघाती का दिल,
पत्थर का टुकड़ा है।