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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

इक़बाल सिंह “राशा” की कविता “मैं अब भी ज़िंदा हूँ”

मैंने
एक दिन
अपनी ही हथेलियों से
ख़ुद को छूकर देखा —
ना कोई ज़ख़्म थे,
ना कोई गुलाब…
बस त्वचा के नीचे
धड़कता हुआ
एक बेआवाज़ सच था।

उँगलियों की पोरों पर
थोड़ी-सी नमी थी —
शायद
वो मेरी ही साँसों का
कोई भूला हुआ स्पर्श रहा होगा।

कई बरसों से
मैं दूसरों की आँखों में
अपना चेहरा तलाशता रहा —
और हर बार
एक अजनबी
लौट आता था।

पर उस दिन
जब मैंने
अपनी ही हथेलियों से
अपने सीने को टटोला —
मुझे एक धड़कन मिली,
जो अब भी
मुझे मेरा नाम लेकर
पुकार रही थी।

मैं चौंका नहीं,
ना ही रोया —
मैं बस
थोड़ी देर तक
अपने हाथों में
बैठा रहा…
जैसे कोई
अपना ही चेहरा
पलकों में सहेज ले।

और तभी
पहली बार
मुझे लगा —
मैं अब भी
ज़िंदा हूँ।

क्योंकि
कभी-कभी
ज़िंदा होना
सिर्फ़ साँस लेने से नहीं —
ख़ुद को
महसूस कर लेने से
साबित होता है।

इक़बाल सिंह “राशा”
मनिफिट, जमशेदपुर, झारखण्ड




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

धड़कन, जो अब भी मुझे,मेरा नाम लेकर पुकार रही थी। अंतर्मन की वो भावाभिब्यक्ति जब हम स्वयं का अस्तित्व पहचानते हैं। शब्द मोतियों को अपनी कल्पना के धागों से पिरोकर शाश्वत मालिका की सुंदरतम रचना।राशा जी, बधाई बधाई बधाई, नमस्कार 👌👌🌹🙏

शिवचरण दास said

वाह बहुत खूब. .. खुद को महसूस कर लेने से साबित होता है. ..गहरे उतर जाते हैं राशा जी

वन्दना सूद said

sir, गज़ब
कौन सी पंक्ति की तारीफ करूँ ,हर पंक्ति पर वाह वाह निकलता है
आप की लेखनी तो लाजवाब है 🙌🏻🙌🏻

ललित दाधीच said

सर्वश्रेष्ठ रचना ❤❤🙏🙏❤️❤️

इक़बाल सिंह “राशा“ said

मनोज जी, शिव जी, वन्दना जी, ललित जी, आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद

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