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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

गजल - जब-जब आएगी होली

कापीराइट गीत

खेल रही हैं सखियां सारी साजन के संग होली
यादें तेरी खेल, रही हैं संग मेरे आँख मिचौली

जब होली पर तुम ने यूं मुझ को रंग से रंग डाला
रंग गई तेरे ही रंग में जब प्यार से पानी डाला
छूट गई मेरी सखियां जब खेली तेरे संग होली
यादें तेरी खेल रही हैं --

आई है अब याद तेरी मुझ को साजन होली पर
थम गई है ये दुनियां मेरी आके इस रंगोली पर
बिन साजन कैसे मैं खेलूं यूं गैरों के संग होली
यादें तेरी खेल रही हैं --

अब तो होली पे साजन ये यादें तेरी तड़पाएंगी
मेरे मन के आँगन में बस यादें तेरी रह जाएंगी
यह आंखें मेरी खेल रही हैं संग आँसू के होली
यादें तेरी खेल रही हैं --

जब-जब आएगी होली ऐसे ही मुझे रुलाएगी
रंग जैसे ही बरसेगा मुझे याद तुम्हारी आएगी
बरस गए ये मेरे नैना जब खेली यादव ने होली
यादें तेरी खेल रही हैं --

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Supriya sahu said

बहुत खूब सर जी👌👌खेलते रहिए होली सुप्रभात सर जी 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात सहित आपको सादर नमस्कार सुप्रिया जी, आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत सुंदर, होली की एडवांस में शुभकामनाएं

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक स्वागत, अभिनन्दन एवं धन्यवाद मेरी प्यारी बहना, आपको सादर नमस्कार

श्रेयसी said

सही कहा कभी-कभी ऐसी भी होली होती है। बहुत सुंदर रचना 👌👌 सुप्रभात सादर प्रणाम लेखराम भैया 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आपको बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद सहित सादर नमस्कार

कमलकांत घिरी said

वाह वाह क्या मस्त खेल रही हैं होली बहुत शानदार सर जी 👌 आपको मेरा प्रणाम सर जी🙏

Lekhram Yadav replied

कमलकांत भाई आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं एडवांस में होली मुबारक हो

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