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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

इक़बाल सिंह“ राशा“ की कविता “मृत्यु… मेरी मंज़िल”

मैं जानता हूँ —
मृत्यु कोई दीवार नहीं,
वो एक खुला द्वार है,
जहाँ से आत्मा लौटती है
अपने घर की ओर।

हम सब सफ़र में हैं,
कोई आँसू लेकर,
कोई सपना लेकर —
पर सब लौटेंगे वहीं,
जहाँ मौन बोलता है
और समय ठहर जाता है।

कभी सोचा था मृत्यु अंधकार है,
पर अब जाना —
वो तो उजाले का दूसरा नाम है।
जब जीवन अपनी साँसें रख देता है
प्रभु की हथेलियों पर,
तभी आत्मा मुस्कुराती है —
जैसे नदी सागर से मिलने जाए।

कितनी बार मैं बिछड़ा,
कितनी बार मिला,
हर बार कुछ खोकर
थोड़ा और पूरा हुआ।
अब समझ आया —
हर जन्म अधूरी पंक्ति है,
जिसका पूर्ण विराम
मृत्यु नहीं,
मिलन है।

मृत्यु…
कोई अंत नहीं,
वो मेरा ठहराव है —
जहाँ मैं मिटता नहीं,
बस लय हो जाता हूँ —
सत्य में,
प्रभु में,
अपने आप में।

इक़बाल सिंह “राशा”
मनिफिट, जमशेदपुर, झारखण्ड




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

सुप्रिया साहू said

हर जन्म अधूरी पंक्ति है,
जिसका पूर्ण विराम मृत्यु नहीं,मिलन है।
जिंदगी की वास्तविकता को दर्शाती हुई कविता जो जन्म और मृत्यु से मिलन करा रही है, बहुत खूबसूरत रचना इक़बाल सर 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

सरिता पाठक said

सर्वश्रेष्ठ रचना इतनी खूबसूरत रचना जो हकीकत बयां करती है दिल छू लिया 👌👌आदणीय परवेज़ जी को आदाब 🙏🙏

विनय कौशिक said

एक गहरी आध्यात्मिक मुक्ति का अनुभव कराती हुयी रचना बहुत खूब 👌👌🙏🙏

वन्दना सूद said

खूबसूरत रचना sir 🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

अतिसुंदर अतिसुंदर, इकबाल जी 👌 आपकी इस अनमोल रचना ने मृत्यु से वास्तविक परिचय करा दिया। मृत्यु सबसे बिछड़ने का नाम नहीं है बल्कि आत्मा के अपने प्रभु से मिलने का नाम है।आपको सादर प्रणाम 🙏🌹

श्रेयसी said

मृत्यु.... कोई अंत नहीं.... बहुत ख़ूब कहा 🙏🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

वाह! बहुत ख़ूब! लाजवाब रचना! बेहतरीन सुफ़ियाना कलाम! 👌👌👏👏

सरिता पाठक said

बहुत ही सुन्दर रचना,, 👌इक़बाल जी को आदाब 🙏🙏

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