मैं जानता हूँ —
मृत्यु कोई दीवार नहीं,
वो एक खुला द्वार है,
जहाँ से आत्मा लौटती है
अपने घर की ओर।
हम सब सफ़र में हैं,
कोई आँसू लेकर,
कोई सपना लेकर —
पर सब लौटेंगे वहीं,
जहाँ मौन बोलता है
और समय ठहर जाता है।
कभी सोचा था मृत्यु अंधकार है,
पर अब जाना —
वो तो उजाले का दूसरा नाम है।
जब जीवन अपनी साँसें रख देता है
प्रभु की हथेलियों पर,
तभी आत्मा मुस्कुराती है —
जैसे नदी सागर से मिलने जाए।
कितनी बार मैं बिछड़ा,
कितनी बार मिला,
हर बार कुछ खोकर
थोड़ा और पूरा हुआ।
अब समझ आया —
हर जन्म अधूरी पंक्ति है,
जिसका पूर्ण विराम
मृत्यु नहीं,
मिलन है।
मृत्यु…
कोई अंत नहीं,
वो मेरा ठहराव है —
जहाँ मैं मिटता नहीं,
बस लय हो जाता हूँ —
सत्य में,
प्रभु में,
अपने आप में।
इक़बाल सिंह “राशा”
मनिफिट, जमशेदपुर, झारखण्ड

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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