वक्त को तलवार बनने दे
और हमीं पर वार करने दे।।
कोई लम्हा रोशनी पाता है तो
घर मेरा सौ बार जलने दे ।।
झूठ की आंखों में काजल प्यार का
उम्र भर दीदार करने दे।।
नीम से कड़वा है पत्थर से कठोर
सच सदा स्वीकार करने दे।।
छोड़ कर सारी नसीहत दर्द की
कुछ खुशी के जाम ढलने दे।।
दास कुछ भी ये जमाना सोच ले
आज कुछ पैगाम लिखने दे II