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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बचपन की यादें शिवानी जैन एडवोकेटbyss

बचपन की यादें
शिवानी जैन एडवोकेटbyss

धुंधली सी यादों में बचपन झलकता है,
जैसे कोई भूला हुआ गीत फिर बजता है।
वो रंगीन खिलौने, और परियों की बातें,
वो भोली सी दुनिया, और अनजानी रातें।
वो माँ की लोरी, और पिता का दुलार,
वो भाई-बहनों का झगड़ा, और फिर से प्यार।
वो गलियों में दौड़ना, और छुपम-छुपाई,
हर खेल में थी एक अपनी ही सच्चाई।
वो मेले में जाना, और चाट पकौड़ी खाना,
वो आइसक्रीम की मस्ती, और हर पल सुहाना।
वो डरना भूतों से, और फिर छिप जाना,
हर डर में भी था एक अपना ही फ़साना।
वो बिन सोचे हँसना, और बिन बात रूठ जाना,
वो हर गलती पर माँ का प्यार से समझाना।
बचपन का वो अनमोल खज़ाना खो गया,
ज़िंदगी की दौड़ में ये दिल कहीं और हो गया।
मगर आज भी उन यादों की महक आती है,
एक मीठी सी कसक दिल में जगाती है।
बचपन तो बचपन है, वो लौट के न आएगा,
पर यादों के सहारे ये मन मुस्कुराएगा।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar yadon ki barat..

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