कुत्ता कितना अच्छा कुत्ती कितनी अच्छी है,।
वे ये नहीं साेचते पेट में बच्चा या बच्ची है।।1।।
उपर वाले ने रची भी ताे क्या रची है.....
इंसान यन्त्र द्वरा पेट में देखता,
बच्चे काे रखता बच्ची है ताे फेंकता।।
ये सब करना कुत्ता ने बताया नहीं,
कुत्ती ने भी अपना बच्चा कभी गिराया नहीं।।
भले ही वह भाेंकती दिमाग की कच्ची है,
कुत्ता कितना अच्छा कुत्ती कितनी अच्छी है।।2।।
वे ये नहीं साेचते पेट में बच्चा या बच्ची है.....
इंसानाें में मां हाे कर भी खाना नहीं खिलाए,
बच्चे काे अपना दूध छाेड बाेतल से दूध पिलाए।।
कुत्ती पर कहीं से खाना ले कर खिलाती,
बच्चे काे दूध भी अपना ही पीलाती।।
उसकी यही अदा ताे इंसानाें से सच्ची है,
कुत्ता कितना अच्छा कुत्ती कितनी अच्छी है।।3।।
वे ये नहीं साेचते पेट में बच्चा या बच्ची है.....
इंसान धर्म कर पुन्य कमाना भूला है,
हर बखत पाप करने में ही तूला है।।
आज लडकी काे पेट में ही दबाेेने से,
उनकी संख्या कम हाे रही भ्रूण हत्या हाेने से।।
इंसान के नगरी में पाप ही पाप मची है,
कुत्ता कितना अच्छा कुत्ती कितनी अच्छी है।।4।।
वे ये नहीं साेचते पेट में बच्चा या बच्ची है.....
उन दाेनाें में ही बहुत प्रेम रही है,
उनका रबैया आदमी से कई गुना सही है।।
एक मानव हाे कर भी उसका दिमाग फिर गया,
कुत्ताें से भी आज इंसान नीचे गिर गया।।
इंसानाें काे काैन समझाये यही माथापच्ची है,
कुत्ता कितना अच्छा कुत्ती कितनी अच्छी है।।5।।
वे ये नहीं साेचते पेट में बच्चा या बच्ची है.....
---नेत्र प्रसाद गौतम