इन्सान की ज़रूरत उसके होने तक ही होती है
आश्चर्यचकित करती है एक बात मुझे हमेशा
जिनके सांय में हमने जीना सीखा
हर पल हमें बहलाया,मनाया,सिखाया जिन्होंने
सुख-दुख, ख़ुशी-ग़म के झोंके कभी मिलकर सहे और कभी अकेले सह गए
हमें इस काबिल बना दिया
कि ज़रूरत पड़ने पर हम अपनों को उन्हीं की तरह सँभाल सकें
मगर ज़िन्दगी के पचास साल उनके साथ ऐसे बिताए
कि अपने आप को सम्भालना बखूबी सीख गए
उनको समझ पाएँ ,उनके मन को बहला पाएँ और उनको सम्भाल पाएँ यह नहीं सीख पाए
शायद !कीमत इन्सान की नहीं होती बल्कि उसकी ज़रूरत की होती है
ज़रूरत ख़त्म तो इन्सान की कीमत ख़त्म
और इन्सान ख़त्म तो अब ज़रूरत की ज़रूरत भी ख़त्म ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




