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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

अगर प्रिय खो जाए — भाई के लिए part 2

अगर भाई खो जाए…
तो वक़्त ठहरता नहीं,
पर हर घड़ी में वो छिपकर बैठ जाता है।
चाय का कप उठाते हुए,
माँ की आँखें पढ़ते हुए,
तुम्हारा नाम कोई पुकारे —
और तुम अनजाने में पलट जाओ…
जैसे वो अब भी पीछे खड़ा हो।

तुम्हारे कमरे में आज भी उसकी हँसी गूंजती है,
उसकी किताबें अब भी वहीं हैं —
उनके पन्नों में वही पुराना गुस्सा,
वही ज़िद, वही सपने…
जिन्हें उसने शायद तुमसे कभी कहा भी नहीं।

कभी-कभी तो ऐसा लगता है —
जैसे वो अब भी तुम्हें देख रहा हो,
जब तुम चुपचाप रोती हो,
जब तुम खुद से सवाल करती हो,
वो वहीं बैठा है —
पर इस बार कुछ कहता नहीं।

भाई अगर चला भी गया हो —
तो क्या सच में चला गया है?

वो तो हर बार लौट आता है —
जब तुम कुछ बड़ा हासिल करती हो,
जब तुम गिरकर फिर उठती हो,
जब तुम्हें अपने भीतर
एक अजीब सी ताक़त महसूस होती है —
जो कहती है:
“तू अकेली नहीं है बहन,
मैं अब भी तेरे साथ हूँ।”

शायद भाई का जाना —
एक शारीरिक बिछाव हो सकता है,
पर भाई का प्रेम —
एक आत्मा की विरासत है।
वो कभी बिछड़ता नहीं,
बस…
आँखों की जगह हृदय में बस जाता है।

और एक दिन…
जब तुम सबसे ज़्यादा अकेली हो,
वो ख़ामोशी से आएगा,
तेरे आँसू पोंछे बिना ही,
तेरी हथेली थाम लेगा —
जैसे बचपन में थामा करता था।

“मैं गया नहीं हूँ बहन,
मैं तुझमें हूँ —
तेरे साहस में,
तेरी स्मृति में,
तेरे जीवित रहने की हर वजह में।”




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

वन्दना सूद said

बहुत खूबसूरत भाव 👌👌👏👏

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