जो दिल में होता है,
वही आँखों में होता है,
जो दिल में दर्द छुपाता है,
वही आँखों से रोता है,
राहों का तमाशा भी,
उन्हीं आँखों को चुभोता है,
ये जीने के सवालों में नहीं आता है
प्रेम करना,
मेरी आँखों से निकला प्रेम,
तेरी आँखों में रोता है,
अब प्रेम तुझसे भी मेरा एक निवेदन है,
मेरा खाली दिल है खाली तेरी जगह है तैयार,
लेकिन तू तो आँखों से आँखों में, आँखों में आँखों से,
मैं देखता हूं जब तू आँखों में आँखों से खोता ही जाता है,
दो शख्सों में भी ये बस आँखों में भी दिखता है,
लेकिन प्रेम तो सच्चा दिल सदन से दिल भवन में होता है,
प्रेम आकर तो तू देख,
तेरा जीवन ही दिल में है,
धड़के दिल को छू कहां छोड़ के चलता है,
आँखों में बस किनारा है,
समंदर तो में दिल में होता है,
प्रेम सिर्फ एक से होता है,
यही एक अनेक होता है।।
- ललित दाधीच।।