चाँद की दोस्ती
आज सुबह के साढ़े चार बजे
अपने पुराने दोस्त चाँद से मुलाकात हुई
मेरे हाथ में चाय का कप था
और चाँद के पास दिन निकलने तक का समय
फिर दोस्तों की गुफ़्तगू शुरू हुई
आज फिर वो मेरे अकेलेपन का साथी बना और मैं उसके..
चाँद ने पूछा-तुम इतना सुबह क्यों उठती हो?
मैंने कहा-
प्रकृति को स्पर्श करने आती हूँ
पेड़ों की खामोशी सुनने आती हूँ
तारों से सजा आसमाँ देखने आती हूँ
कभी कभी जब तुम दिखते हो तो
तुम्हारी चाँदनी को निहारने आती हूँ ..
एक शिकायत है तुमसे
कैसे दोस्त हो?न अपनी खबर देते हो और न हमारी खबर लेते हो
जब तुम्हारी ज़रूरत होती है तो देर से आते हो
कुछ दिन दिखते हो और कुछ दिन गायब रहते हो
जब तुमसे मिलने आएँ तो बादलों में छिप जाते हो
जब थक कर बैठ जाएँ तो खिड़की से झाँक कर आवाज़ लगाते हो ..
चाँद ने कहा
दोस्ती में शर्त नहीं होती
सिर्फ़ दोस्ती होती है
जो किस्मत से मिलती है
यह वक्त की मोहताज़ नहीं होती
बरसों न मिलने पर भी ख़ास ही रहती है
रिश्ते की ऐसी मिसाल जो हमारी हर खामोशी पढ़ लेती है..
वन्दना सूद