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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

चाँद की दोस्ती

चाँद की दोस्ती
आज सुबह के साढ़े चार बजे
अपने पुराने दोस्त चाँद से मुलाकात हुई
मेरे हाथ में चाय का कप था
और चाँद के पास दिन निकलने तक का समय
फिर दोस्तों की गुफ़्तगू शुरू हुई
आज फिर वो मेरे अकेलेपन का साथी बना और मैं उसके..

चाँद ने पूछा-तुम इतना सुबह क्यों उठती हो?
मैंने कहा-
प्रकृति को स्पर्श करने आती हूँ
पेड़ों की खामोशी सुनने आती हूँ
तारों से सजा आसमाँ देखने आती हूँ
कभी कभी जब तुम दिखते हो तो
तुम्हारी चाँदनी को निहारने आती हूँ ..

एक शिकायत है तुमसे
कैसे दोस्त हो?न अपनी खबर देते हो और न हमारी खबर लेते हो
जब तुम्हारी ज़रूरत होती है तो देर से आते हो
कुछ दिन दिखते हो और कुछ दिन गायब रहते हो
जब तुमसे मिलने आएँ तो बादलों में छिप जाते हो
जब थक कर बैठ जाएँ तो खिड़की से झाँक कर आवाज़ लगाते हो ..

चाँद ने कहा
दोस्ती में शर्त नहीं होती
सिर्फ़ दोस्ती होती है
जो किस्मत से मिलती है
यह वक्त की मोहताज़ नहीं होती
बरसों न मिलने पर भी ख़ास ही रहती है
रिश्ते की ऐसी मिसाल जो हमारी हर खामोशी पढ़ लेती है..
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

Shiv Charan Dass said

लाजवाब

वन्दना सूद replied

🙏🙏😊

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

हमारी हर खामोशी पढ़ ले इससे अच्छा रिश्ता हो ही नहीं सकता, सुंदर कल्पना, सुंदर लेखन।

वन्दना सूद replied

शुक्रिया sir 🙏🙏

Vadigi.aruna said

बहुत सुंदर👌👌

वन्दना सूद replied

🙏🙏

Supriya sahu said

चाँद से दोस्ती बहुत खूबसूरत है मैम 👌👌, बहुत सुंदर रचना 👌 👌,आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

वन्दना सूद replied

शुक्रिया सुप्रिया जी 🙏🙏

Updesh Kumar Shakyawar said

बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिए सलाम

वन्दना सूद replied

🙏🙏

श्रेयसी said

लाजवाब रचना बहुत खूबसूरत 🙏🙏

वन्दना सूद replied

शुक्रिया श्रेयसी जी 🙏🙏😊

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