अब हम बड़े सख़्त हो गये हैं.......
जो याद करे उसके लिए यादगार बन गये और
जो याद ना करें उससे हमेशा के लिए
दूर हो गये हैं।
अब हम बड़े सख़्त हो गये हैं........
उनकी खबर लेते रहते हैं इधर उधर से
खुद उनसे नहीं पूछते कि आपका हाल कैसा है।
अब हम बड़े सख़्त हो गये हैं........
पहले सभी को याद करते रहते थे और
जताते रहते थे,
अब जताना छोड़ दिया
वरना याद तो अब भी हर वक्त करते हैं।
अब हम बड़े सख़्त हो गये हैं..........
सभी की बहुत फ़िक्र करते थे और
कहते थे हमें बहुत फ़िक्र है आपकी,
अब बताना छोड़ दिया है
वरना फ़िक्र तो अब और भी ज्यादा करते हैं उनकी।
"रीना कुमारी प्रजापत "
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




