सल्तनते बदल जाती है
अवाम नेस्तनाबूत होती है
युगो बीत जाते है
सभ्यतांए बनती है और मिट जाती है
कितने राजा-महात्माएँ आते है और इसी मिट्ठी मे मिट्ठी हो जाते है
जो आज है वह कल नहीं
पलभर में सारी कायनात बदल जाती है
हे भगवंत..
तुम नहीं।
✍️ प्रभाकर, मुंबई ✍️