आया था जो दर्द अब क्यू रुक नहीं जाता
जो कल था वो आज क्यू बीत नहीं जाता।
सारा आलम तो हे क्यों घूमती रहेती नजर
क्या वजह हे की वक़्त से में में घर नहीं जाता।
वो अकेले तो नहीं इस सीर्फ इस दुनिया में
बड़ी दूर हे वो. इस दिल से उतर क्यू नहीं जाता।
तमाशा बन गया हु में खुद अपनी राहों का
जहां सभी जाते हे उधर में चला क्यू नहीं जाता।
इक ख्वाब हे अर्सो से जीसका ना चहेरा ना महोरा
चाहता हु पर ये ख्वाब क्यू सुबह तक ढल नहीं जाता
के बी सोपारीवाला.....