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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ठहर जाओ

कापीराइट गजल

ठहर जाओ ये मौसम बदल जाएगा
कुछ देर मेरा भी दिल बहल जाएगा

सितम ऐसा न करो, तुम अपनों पर
यूं दर्द मेरे दिल का, ये बढ़ जाएगा

तुम से दूरी अब ये सह ना पाउंगा
हर पल ये तन्हाई, में बदल जाएगा

मार डालेगी मुझे, ये जुदाई तुम्हारी
यह हंसी पल गम में, बदल जाएगा

अपनी बातों में यूं न उलझाओ तुम
ये पल यूहीं आज भी, गुजर जाएगा

काश समझ पाते तुम, बातें दिल की
तुम्हें इश्क कहां ऐसे, समझ आएगा

कभी हम पर यकीं, कर लो यादव
एक पल में यह मंजर, बदल जाएगा

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

सुभाष कुमार यादव said

खूबसूरत ग़ज़ल सर जी।👌👌🙏

Lekhram Yadav replied

आदरणीय सुभाष जी आपका दिल से धन्यवाद एवं आभार, आपको सादर नमस्कार

कमलकांत घिरी said

वाह वाह लाजवाब, बेमिसाल गज़ल सर जी, काश समझ पाते तुम, बातें दिल की तुम्हें इश्क कहां ऐसे, समझ आएगा... बेहद खूबसूरत रचना🙏✍️👏🙌 आपको मेरा सादर प्रणाम 🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद कमलकांत भाई, आपको सुप्रभात सहित सादर नमस्कार

रीना कुमारी प्रजापत said

जी ठहर गए...... बहुत शानदार ग़ज़ल... प्रणाम

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद मेरी प्यारी बहना आपको सादर नमस्कार

Supriya sahu said

बहुत खूबसूरत गज़ल सर जी 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Lekhram Yadav replied

सुप्रिया जी आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपको सादर नमन

वन्दना सूद said

वाह वाह sir 🙌🏻🙌🏻

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद मैम, आपको सादर नमस्कार

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