विपदाओं की दहलीज पर,
अरमान -ए- मोहब्बत का ,
निरंतर जलता हुआ चिराग ,
दुआ है सर्वजन सलामत की ,
इशरत तंदुरुस्ती की ख्वाहिश ,
मणिकर्णिका सी पावन मुक्ति ,
रिवायतों के नम्र झरोखों से ,
मुस्कुराहट की सूक्ष्म आहट ,
बुझ ना पाए कभी यह दीपक ,
आंधियों के झोंकों झरोखों से ,
हाल-ए-शब-ए-ग़म गुज़ार के ,
दीप्यमान रह-तू -ए- जिंदगी ,
निरन्तर अखंड देदीप्यमान् रहे,
" चिराग –ए - मोहब्बत " .
---- राजेश कुमार कौशल