मैने समझी है पीड़ाएं किसी की
किसी दूसरे के दिल का दर्द
पर शायद मैं समझा नहीं पाया
खुद का दर्द, खुद की पीड़ाएं
इसी लिए वो बहती है
अविरल हृदय के अंतस में
मेरे अंदर.....
उन्हे नही मिल पा रही
बहने की वो स्वतंत्रता
वो आंखे,वो समय और वो घड़ियां
जिनसे बहकर निकल जाए
वो दरिया जो अब बन चुका है समुंदर
मेरे अंदर....
कुछ पीड़ाएं जो सबसे प्रिय होती है
शायद किसी नई दुल्हन की तरह
जैसे नही लाई जाती नई दुल्हन
सभी के सम्मुख
लोग रखना चाहते हैं उसे छिपाकर
अंदर ही अंदर और बहुत अंदर
ऐसे ही दवी हैं कुछ पीड़ाएं
मेरे अंदर....
कुछ पीड़ाएं ऐसी ही होती है
जो नही आती हैं किसी के सम्मुख
बस आती हैं किसी ह्रदय प्रिय के सम्मुख
तो नग्न हो जाती है, डूब जाती हैं आंखे
उसी रस धार में, बह निकलता है
वो पहाड़ रख कोई नदी का रूप
जो जमा है कई वर्षो से
किसी अपने के मिलन को बेकरार
जिसे सहेज रखा था हमने
मेरे अंदर....

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




