कापीराइट गजल
चले गए हैं हम से नजर चुरा कर वो
देख लेते एक बार नजर उठा कर वो
एक हसरत थी दिल में देखने की उसे
क्यूं ऐसे चले गए हैं हमें भुला कर वो
बात करते हैं अब ईशारों में आजकल
हमको उंगली पे रखते हैं नचा कर वो
दिखा देते हमको, एक झलक अपनी
चले गए हम पर बिजली गिरा कर वो
क्या बिगाङा था हमने अय खुदा तेरा
क्यूं जा रहे हैं ऐसे नजर बचा कर वो
कुसूर तेरा भी हैं इसमें यादव कुछ तो
क्यूं सताते हैं हमें नजर छुपा कर वो
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
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