उम्मीद करें कैसे वो टिकते ही नही।
ज़ज्बात उभरें कैसे मिलते ही नही।।
रोज आती है आँधी निकल जाती है।
धुँआ उड़ जाता ख्याल जाते ही नही।।
उड़ते रहे ख्याल दिल की गहराई में।
लाचारी जानकर रवि सताते ही नही।।
दिल जलाते रहने की मजबूरी उनकी।
रिश्ता दृढ़ 'उपदेश' अपनाते ही नही।।
लौट आएँ खुशियाँ मंजूर नही शायद।
बेबसी ऐसी कोई संदेश सुनाते ही नही।।
उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद