ज़िन्दगी की राहें
कब सब के लिए आसान हुआ करती हैं ?
कोई अन्धकार में रहकर भी सपने देखता है
तो कोई आवाज़ और लफ्ज़ों से दूर होकर भी रोशनी ढूँढता है
ज़िन्दगी कहाँ ?सब के लिए आसान हुआ करती है ..
वो कहते हैं
हम तुमसे अलग नहीं हैं
तुम में से ही एक हैं
क्या तुम हमारे दिए की रोशनी नहीं बन सकते ?
क्या तुम हमारी कहानियों की आवाज़ नहीं बन सकते ?
ज़िन्दगी है जनाब !सब के लिए आसान कहाँ हुआ करती है ..
वो कहते हैं
हम स्वावलंबी बनना चाहते हैं
हमारे लिए भी कुछ राहें ऐसी बना देना
कि हमारे सपनों को भी पंख मिल जाएँ
कि तुम्हारी भीड़ में हमारा भी एक वजूद हो जाए
ज़िन्दगी की राहें मुश्किल ही सही ,पर उन्हें जीतना हम भी सीख जाएँ..
वन्दना सूद