ज़िंदगी खींच लाई है मुझे उस मकाम पर,
लोग पहचानते ही नहीं मुझे मेरे नाम पर।
जो रख देता अपना किरदार उनके पैरों में,
बरसने लगते कईं इनाम इस गुमनाम पर।
मैंने बचा कर किरदार, कर दिया है ऐलान,
बचेगा वो या मेरा किरदार इस संग्राम पर।
वो करते हैं मेरी बुराई, हो जाए ये बदनाम,
सोचते हैं, मैं डर जाऊँगा एक इलज़ाम पर।
अब न पाने की खुशी, न खोने का गम है,
दिल ऊबने लगता, इन सारे तामझाम पर।
दिल में जला सकूँ एक नये सोच की आग,
तौहीन भी है मंजूर मुझको इस पैगाम पर।
है यही चाहत मैं भी लिख जाऊँ कुछ ऐसा,
लोग याद रखें मुझे, अपने इस कलाम पर।
🖊️सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




