(बाल कविता)
उड़ने वाला बच्चा
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उड़ने वाला बच्चा देखा
मैंने एक अनोखा !
पता नहीं सच था या कोई
मुझे हुआ था धोखा !!
तितली जैसे पंख रंगीले
फूलों जैसे कपड़े !
आसमान के सूर्य चंद्र को
एक हाथ से पकड़े !!
सर सर सर सर नील गगन में
रॉकेट जैसे घूमे !
पलटा खाए, गाना गाए
सूर्य चंद्र को चूमे !!
गंगा मैया हर हर हर हर
बहने लगी अचानक !
नभ में घना अँधेरा छाया
आँधी चली भयानक!!
बिजली कड़की, बादल गरजे
बरसा पानी झम झम!
निर्भय होकर झांझ मंजीरा
ढोल बजाया ढम ढम !!
सूरज चंदा हाथ से छूटे
पहुँँचे अपने घर पर !
बच्चे ने फिर छड़ी घुमाई
बरसी नोटें फर फर !!
नोट बीनने पहुँँचा जैसे
पड़ा गाल पर चाँटा !
उठ जा जल्दी, विद्यालय जा,
मम्मी जी ने डाँटा !!
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राम नरेश 'उज्ज्वल'
उज्ज्वल सदन
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