"हमारी हसरतों में यूँ बसा
की शान ए हज़रतगंज बना
हमने आमीन कहा जब
कैद ए मुहब्बत को उनकी
तों यादों से अमीनाबाद बना
ज़ब नज़ाक़त से नज़रों ने कहा
मुस्कराइये आप लखनऊ में हैं
पाक दिल ज़र्रदोज़ी कारीगरो का
मक़ाम-ए-'इबरत लखनऊ बना "
अवध कि शान हैं लखनऊ
सिवइयों कि मिठास में लिपटी
मज़हबी ज़ुबान हैं लखनऊ
शौक कि अचकन पहने
प्यार मुहब्बत में लिपटा
हरा सुर्ख पान हैं लखनऊ