निरुद्देश्य है गर जीवन तो जीना बेकार है
कुछ भी अच्छा करो जो तुम्हारे इख़्तियार है
दौलत हीं नहीं सबकुछ ज़िंदगी के लिए
किसी का हक़ छीन मत भरो तिजोरी ये दुराचार है
जितनी जरूरत हो सहेजो धन उतना हीं
जरूरत से ज्यादा कुछ भी करता जीना दुश्वार है
ख़ुद के लिए सिर्फ़ जीना भी क्या जीना है
काम न आए किसी के ऐसे जीवन पर धिक्कार है
बोलने से ज्यादा अच्छा सुनना होता है ज्ञानी को
सुन कर ग्रहण किया जो होता उसका सत्कार है