धीरे-धीरे तारीख़ों में,
हम व्यतीत हो रहे हैं ,
हम हैं तो आज ,
पर हर पल अतीत हो रहे हैं|
सोचा था जिनके साथ,
जिंदगी खुशनुमा होगी,
वो ही धीरे-धीरे से,
अब रक़ीब हो रहे हैं।
सपने थे जिनको लेकर,
वो राह बदल गए,
एक हम हैं जो आज भी
तारीख़ों में व्यतीत हो रहे हैं।