स्पर्श की भाषा प्रेम का आभास।
विश्वास से भरता खोया एहसास।।
कुछ उमड़ता-घुमडता सा अंतर्मन।
छुने मात्र से प्रभावित होती आस।।
कहने सुनने की जरूरत ही नही।
प्यार बिन कहे ही बढ़ाता विश्वास।।
एक दूसरे की आँखें बाते करती।
कदमताल में दिल समझता श्वास।।
बोल उठेगा दोनों के बीच 'उपदेश'।
और फिर उत्सर्जित होगी प्यास।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद