मौसम देखो,
अपने शीतल पर खोलने लगा..
पंछी भी सर्द राग का
गीत कोई बोलने लगा..।
फ़िज़ा की भी हर तरफ़
रंगत–ओ–नूर बदलने लगी,
चित्रकार कोई ,
हर रोज़ कूंची में अपनी,
नए रंग घोलने लगा..।
धूप में रेशमी एहसास लिए
कसमसाता है मन..
बाज़ ऊंची परवाज़ को,
पंख अपने तौलने लगा..।
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




