ज़िंदगी इतनी भी आसान नहीं,
कौन है यहाँ, जो परेशान नहीं।
मुश्किलों से लड़ो मिलेगा सब,
आदमी हो तुम, भगवान नहीं।
बोझ तले दब कर मर जाओगे,
सब ले लेना पर अहसान नहीं।
उसके गम में तुम मुस्कराते हो,
ये इंसानियत की पहचान नहीं।
हैवान सोचता होगा देख करतूतें,
अच्छा हुआ कि मैं इंसान नहीं।
🖊️सुभाष कुमार यादव