शौर्य, साहस और सबल,
डटे हुए हैं सेना अविचल,
करते भारत माँ की रक्षा,
चहुँ दिग नभ, थल, जल।
चाहे गल जाए भले त्वचा,
देह में श्वास ही शेष बचा,
काट रहे हैं शीश अरि दल,
हिमालय हो या मरुस्थल।
अगर करोगे छल से वार,
सह न पाओगे फिर प्रहार,
संसार देख चुका बाहुबल,
शत्रु हैरान देख रणकौशल।
जला देश प्रेम की ज्वाला,
प्राण हथेली रख मतवाला,
गतिमान पग रहते चंचल,
देश की रक्षा ध्येय केवल।
प्राण करने को न्यौछावर,
हर पल रहते हैं जो तत्पर,
नमन करते उन्हें प्रतिपल,
नभ, जल, थल सेना दल।
🖊️सुभाष कुमार यादव