कापीराइट गजल
फिर आ गए हैं वहीं पर
फिर आ गए हैं वहीं पर, जहां से चले थे हम
अब, क्या बताएं आपको, अपनी जुबां से हम
उनके, के संग जब हम, चले थे पहली बार
खुशी, की चाह में कितना, इतरा चले थे हम
एक ख्वाब की तरह ये चल रही थी जिन्दगी
दो कदम साथ उन के, ख्वाब में चले थे हम
ख्वाब में चलते-चलते हम, कहां पर आ गए
हम को रहा न याद, के कहां से चले थे हम
मैं खुशियों की तलाश में इस कदर खो गया
कहां ये होश था हमें के कहां से चले थे हम
भर, गया ये दामन, जब हर खुशी से हमारा
आ गया याद हमको के कहां पर मिले थे हम
ख्वाब तो ख्वाब हैं यादव, ख्वाब का क्या है
जमीं पे गिरे तो लगा के, कहां पे गिरे थे हम
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना)
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




