सत्य है ये,
जनसुनवाई होती है।
जनता की बात ,
सुनी जाती है।
मगर,
अधिकारी अपनी मनमानी।
मनचाही,
रिपोर्ट लगाकर।
खाना पूर्ति करते,
नजर आते हैं।
वर्षों से भटक रहे,
लोग।
मुखिया से,
गुहार लगाते हैं।
फर्जीवाड़े की शिकायत,
करने पर।
शिकायतकर्ता को ही,
धमकाते नजर आते हैं।
न्याय करने वाले ही ऐ!"विख्यात",
मौन क्यूं हो जाते हैं।
बन न्याय के ठेकेदार,
न्याय की किताबों को जलाते हैं।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




