क्यों ले जाते हो कुछ बातो को घर पर
कुछ बातो को रक्खो बहार द्वार पर
बहार की परेशानिया चाय में उबालदो
अच्छे से पहोचो अपने बीस्तर पर
जीवन पहले सरल फिर कठीन होता हे
कठनाईयो को छोड़ो तुम ईश्वर पर
कठिनाई सरलता सुखदुख दोनो साथी हे
साथ नीभावो उसका आन-बान-शान पर
अच्छे रास्ते भी कभी मील जाते हे मिटटी में
हद से ज्यादा बादलो के बरस जाने पर
खुद को देखो दुनिया देखकर क्या करोगे
आज जिंदगी देख रही हे तुम्हारे पांव पर
के बी सोपारीवाला