हम उसे पागल समझ ख़ामोशी से ख़ामोश हो गए,
और वो समझी कि हम कायर उससे डर गए।
मूर्ख को समझाना ख़ुद मूर्ख होने का प्रमाण है,
जानती नहीं खुद की ही हक़ीक़त वो इतनी मग़रूर है।
बताए भी उसे उसकी हक़ीक़त तो वो मानेगी नहीं,
उल्टा हम ही को दोष देगी,वो इतनी जो पगलाई है।
खुद की मानसिक स्थिति समझना चाहती नहीं,
और दूसरों को बदनामी का ताज पहनाने में लगी है।
अपनों के ही साथ छल कर उसकी रूह काॅंपती नहीं,
खुद दग़ाबाज़ी करती और इल्ज़ाम दूसरों पर मढ़ती है।
🥀🥀 रीना कुमारी प्रजापत 🖊️🖊️