आँखों ने आँखों से कहा किसी ने नही देखा।
अन्दर में भाव जागे भाव ने अँधेरा नही देखा।।
एक कसक जो आज भी दफ़न है मेरे अन्दर।
कसमसाती है कहीं उसको झाँकते नही देखा।।
जिन्दगी में कई किरदार निभा रही एक साथ।
एक ने दूसरे को आज तक टकराते नही देखा।।
एक नजर इनायत रही तो कुछ देख सुन पाई।
बनकर क़ाबिल 'उपदेश' गुमान करते नही देखा।।
अब तो मैंने ओढ़ रखी है गुरबत की चादर को।
फिर भी हसरतो को मैंने नीलाम होते नही देखा।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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