क्यों तुम्हारे नैना सावन की तरह बरस रहे,
क्यों तुम इतना बैचेन हो रहे।
क्या कोई ले गया तुम्हारा दिल,
या फिर दे गया तुम्हें अपना दिल।
क्यों तुम्हारे नैना सावन की तरह बरस रहे, क्यों तुम यूं मचल रहे।
क्या कोई रूठ गया है तुमसे,
या कोई छुट गया है तुमसे।
क्यों तुम्हारे नैना सावन की तरह बरस रहे,
क्यों तुम भटके - भटके से लग रहे।
क्या कोई खो गया तुम्हारा,
या किसी ने खो दिया तुम्हें।
क्यों तुम्हारे नैना सावन की तरह बरस रहे,
क्यों तुम मछली की तरह तड़प रहे।
क्या कोई छोड़ गया तुम्हें,
या कोई तोड़ गया तुम्हें।
"रीना कुमारी प्रजापत"