जब से मोबाइल फ़ोन पर नेट सस्ते हो गए ।
आदमी ऐपो के जाल में फंसते चले गए ।
ना अपनी सुधी ना हीं नौकरी व्यापार प्यार
घरद्वार की है ।
हालात लू लपेट लफंगों की तरह हो गई।
सिर्फ़ वक्त और पैसों की बरबादी हीं हुई और स्थिति आदमी की तो.....
बद से बत्तर होती चली गई।
तब सारे रिश्ते नाते अजनबी हो गए
जब से मोबाइल फ़ोन पर नेट सस्ते हो गए।
आदमी सारे निकम्मा नकारा बदहवाश
बेहाल हो गए।
बड़े बड़े सूरमा जो कल तक शेर बनते थे
आज़ ढेर हो गए
जब से मोबाइल फ़ोन पर नेट सस्ते हो गए..
कईं इंस्टा फेसबुक तो कईं स्नैप चैट
कईं यू ट्यूब तो कईं पोकर बाजी में
सिमट कर रह गए।
आदमी रहें ना अब घर के ना घाट के
जब से मोबाइल फ़ोन पर नेट सस्ते हो गए..

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




