✍️मेरी लेखनी ✍️
लेखनी मेरी अभी तो शैशवास्था में है
बचपन के रंग में ढलने तो दो
कुछ मनमर्जिया करने तो दो
किशोरावस्था का अल्हड़पन
खुद में ही खुद को जीने तो दो
अभी तो हुई है युवा वह उसे
बसंती रंग में रंगने तो दो
अभी तो बाक़ी है खुमारी
उसमें नयापन तो भरने दो
अभी तो शारदा ने कलश है छलकाया
आंचल में उसे भरने तो दो
सूर्य की तपस में तप कर
कुंदन तो बनने दो
हो जाऊं विधु सी शीतल मैं
चन्दन काष्ठ बनने तो दो
धीरे-धीरे वयस्क भी हो जायेगी
प्रौढ़ावस्था का अनुभव पाने तो दो
अभी उसे विश्राम कहां
साहित्य सेवा में रत रहना है अविराम
✍️#अर्पिता पांडेय

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




