एक जीव की मौत
एक क्षण पहले स्पंदन था
रगों में बहाव जीवन का
दौड़ता कूदता उमंग से भरा
जब चौपहिये के नीचे गया धरा
और अब
शिथिल हुई देह गति गई थम
पड़ा सड़क पर बेजान, बेदम
बस बहता है लहू अविराम
उजले जीवन की अंधियारी शाम
नागिन सी काली सड़क पर
बिखरे पङे अंग प्रत्यंग
नाकाम सी कोशिश करता
जीतने की आखिरी जंग
जीवन और मृत्यु का
इतना कम है फासला
अभी चल रहा सोच विचार
अभी ख़त्म हुआ मसला
चित्रा बिष्ट