भारत मां का बेटा हूँ
अपने दम पर जीता हूँ।
मैं गुलाम नही किसी का
गुदड़ी अपनी ही सीता हूँ।।
चाहे सुख-दुख हो कैसा
मजदूर हूँ हरदम हंसता हूँ।
मजदूरी से परिवार पालता
अपने में खुश रहता हूँ।।
कंधों पर बोझ बहुत
बोझा सिर से ढ़ोता हूँ।
पर्वत काट राह बनाता
जमीं पर सोना बोता हूँ।।
माथे पर थका पसीना
गहरी नींद सो जाता हूँ।
मेहनत की लाठी टेककर
अपने पसीने की खाता हूँ।।
चप्पल मेरी टूटी हो तो?
नित मजबूती से रहता हूँ।
हूँ शक्ति सामर्थ्य से भरपूर
मजदूर हूँ गर्व से कहता हूँ।।
-उषा श्रीवास वत्स

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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