जब घर से निकलूं सहेली
दिल बेहद घबराता है
एक छगन दिवाना सा
गलियों में मिल जाता है
मैं भोली कुछ जान ना पाई
उसका दर्द पहचान ना पाई
हौले से मुस्काता है फिर
भीगे नयन छुपाता है
कुछ कहना है शायद उसको
पर कहने का साहस नहीं होता
है तो लड़का ही लेकिन
लड़की सा शर्माता है
उसके दिल में क्या है
मुझको अहसास नहीं होता
मैं भी क्यों पुछूं उससे
जब वो ही कह नहीं पाता है
जब घर से निकलूं सहेली
दिल बेहद घबराता है
एक छगन दिवाना सा
गलियों में मिल जाता है
@Chhagan Singh Jerthi

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




