माँ के पल्लू से बंधा रहा न छूटा,
इंजीनियर लड़का जवान हो गया।
रिश्ते आने लगे मर्जी पर माँ थी भारी,
जानकर जैसे अपमान हो गया।
माँ से जुडे लोग चले लड़की के घर को,
तन्हा छोड़ा पिता परेशान हो गया।
घर का मालिक अपने ही घर में दफ्न,
'उपदेश' घर जैसे श्मशान हो गया।
जब चिड़िया चुग गई खेत रोने से क्या,
सपनो का घर ही बेईमान हो गया।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद