खुद को जिंदगीभर परेशां करते रहो
कुछ छूट गया तो हिसाब करते रहो
अरमान युही नहीं कुरबान होते हे
कभी उपरवाले को भी याद करते रहो
शाम हो रात या चांद हो जीस वक़्त भी
तुमतो चांदनी का इन्तेजार करते रहो
चाहे तुमसे कोई पूछे या ना भी पूछे
खुद को तीरंदाजी के काबिल करते रहो
डुबो या डूबकर आखिर तूट भी जाओ
गजल की महेफिल को शराब करते रहो
के बी सोपारीवाला

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




