दूसरे को जानने से पहले स्वयम् को जानें
यदि तन सबका अलग
मन सबका अलग
राहें सबकी अलग
तो संघर्ष सबका एक सा कैसे हो सकता है ?
यदि संघर्ष सबके अलग
तजुर्बे सबके अलग
कर्म सबके अलग
तो सुख दुख सबके एक से कैसे हो सकते हैं ?
यदि सुख दुख सबके अलग
दर्द की कहानियाँ सबकी अलग
कठोर मिज़ाज की वजह सबकी अलग
तो किसी के व्यक्तित्व को जानने की कला किसी को कैसे आ सकती है ?
वन्दना सूद